नर्मदेश्वर शिवलिंग की महिमा –
नर्मदेश्वर शिवलिंग पवित्र नदी माँ नर्मदा की गोद से निकलने वाले कंकर पत्थरों को कहा जाता है जिनमे एक विशेष प्रकार का तेज ओर ऊर्जा होती है| जिसको स्पर्श करने से ही हमे ऊर्जा का अनुभव होता है | नर्मदेश्वर शिवलिंग धरती पर साक्षात भगवान शिव का स्वरूप है जिनकी पूजा अर्चना करने से भगवान भोले नाथ की भक्ति हमे सहज ही प्राप्त हो जाती है| तथा भगवान भोलेनाथ का आशीर्वाद सदैव बना रहता है | पुरानो के अनुसार हजरों मिट्टी के शिवलिंगों की पूजा करने से जो पुण्यफल की प्राप्ति होती है वही पुण्यफल नर्मदेश्वर शिवलिंग के दर्शन मात्र से प्राप्त हो जाता है |
नर्मदेश्वर शिवलिंग ||बाणलिंग या बनालिंग –
माँ नर्मदा सभी तीर्थों एवं नदियों मे सबसे पवित्र नदी मानी जाती है जिसके तट पर कई तीर्थ बसे है लाखों भक्त माँ नर्मदा की पैदल परिक्रमा भी करते है | माँ-नर्मदा को आदिकाल से ही सदैव पूजनीय माना जाता हैं नर्मदा में पाए जाने वाले कंकर-पत्थर को भक्तगण शंकर के रूप में ले जाकर श्रद्धा के साथ पूजन-अभिषेक करते हैं, इसीलिए तो शास्त्रों में कहा गया है कि ‘ नर्मदा का हर कंकड़ शंकर है ‘जिन्हे हम नर्मदेश्वर शिवलिंग कहते इस शिवलिंग को बाणलिंग या बनालिंग भी कहा जाता है| यह माँ नर्मदा ओर प्रकृति की अद्भुत रचना ओर स्वयं निर्मित होने के कारण इन्हे बनालिंग कहते है
नर्मदेश्वेर शिवलिंग का नाम बाणासुर के नाम पर बाणलिंग रखा गया था | प्राचीन काल की कथा है बाणासुर नाम का एक दानव था जो भोलेनाथ की भक्ति करता था| बाणासुर कुल का तो राक्षश था परन्तु भक्तराज प्रह्लाद के कुल का होने के कारण भगवान में भी आस्था रखता था|
एक बार बाणासुर ने भगवान शिव शम्भू की घोर तपस्या की जिससे भगवान भोले नाथ प्रसन्न हुए, और बाणासुर को वरदान मागने को कहा बाणासुर ने भोले नाथ से कहा की आप मुझे शिवलिंग प्रदान कीजिये तभी भोले नाथ ने शिवलिंग का निर्माण किया बाणासुर ने भोले नाथ से कहा की आप सदैव इस शिवलिंग के रूप में रहेगे |
तब भोले नाथ ने प्रसन्न होकर कहा की में इस शिवलिंग के रूप में सदा विराजमान रहूँगा बाणासुर खुश होकर शिवलिंग अपने साथ ले गया, तथा उन्हें अमरकंटक नामक पर्वत पर विराजित करके पूजा अर्चना करता था |
यह शिवलिंग पर्वत से गिरकर नदी में बहने लगे ! और जिस नदी मे बहने लगे वह नहीं नर्मदा नदी थी क्युकि अमरकंटक पर्वत से माँ नर्मदा का ही आगमन हुआ है | और शिवलिंग बाणासुर के द्वारा लाये गये थे| इसलिए इनका नाम बाणलिंग रखा गया और नर्मदा में बहने के कारण इन्हे नर्मदेश्वेर शिवलिंग कहा जाता है|
नर्मदेश्वेर शिवलिंग को घर में स्थापित करने वाले को सभी सुखो की प्राप्ति होती है तथा परिवार में शांति का वातावरण रहता है| नर्मदेश्वेर शिवलिंग जिस घर में रहता है उस घर पर भगवान भोले नाथ की कृपा दृष्टि सदैव बनी रहती है
नर्मदेश्वर शिवलिंग की स्थापना के लाभ –
नर्मदेश्वर शिवलिंग को कोई भी भक्त अपने घर या ऑफिस मे सथापित कर सकते है नर्मदेश्वर शिवलिंग को किसी भी प्रकार की प्राण-प्रतिष्ठा की आवश्यकता नहीं होती इन्हे सीधे नर्मदा से निकाल कर घर या मंदिर मे स्थापित किया जा सकता है| यह शिवलिंग स्वयंभू शिवलिंग है इनकी पूजा अर्चना करने से भगवान भोलेनथ जल्दी प्रसन्न होते है तथा सभी मनोकामनाए पूरी करते है |
- सुख समृधि तथा धन धान्य की प्राप्ति के लिए नर्मदेश्वर शिवलिंग को घर में स्थापित करके पूजा-अर्चना करनी चाहिए
- घर में नर्मदेश्वर शिवलिंग स्थापित करके प्रतिदिन प्रातः दीपक जलाने से शिवलोक की प्राप्ति होती है
- शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने सभी मनोकामनाए पूर्ण होती है|
- नर्मदेश्वर शिवलिंग पर शक्कर वाला दूध चढाने से बच्चो के मस्तिष्क का विकास होता है|
- शिवलिंग पर गेहू चडाने से पुत्र रतन की प्राप्ति होती है|
- शहद चढाने से डायबिटीज और मधुमेह जैसे रोगो से मुक्ति मिलती है|
- नर्मदेश्वर शिवलिंग पर प्रतिदिन पंचामृत से अभिषेक करने पर बाधाओ का नाश होता है
- नर्मदेश्वर शिवलिंग के पूजन से आपके मन में शुद्ध भाव रहते है ओर आसपास की निराशाजनक स्थिति से छुटकारा मिलता है
- एकाग्रता में वृद्धि के लिए भी नर्मदेश्वर शिवलिंग की घर मे स्थापना की जाती है अहंकार, तनाव ,क्रोध में कमी ओर परस्पर संबंधो में शांति, प्रेम और सामंजस्य स्थापित करने के लिए नर्मदेश्वर शिवलिंग की पूजा लाभदायक है